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लेखक:

कृष्ण बलदेव वैद

जन्म : 27 जुलाई, 1927, दिंगा (पंजाब)।

शिक्षा : एम.ए. (अंग्रेज़ी), पंजाब विश्वविद्यालय (1949), पी-एच.डी, हार्वर्ड विश्वविद्यालय (1961)।

अध्यापन : हंसराज कॉलिज, दिल्ली विश्वविद्यालय (1950-62); अंग्रेज़ी विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ (1962-66); अंग्रेजी विभाग, न्यूयार्क स्टेट विश्वविद्यालय (1966-85); अंग्रेज़ी विभाग, ब्रेंडाइज़ विश्वविद्यालय (1968-69)।

अन्य अनुभव : अध्यक्ष, निराला सृजन पीठ, भारत भवन, भोपाल (1985-88)।

कृतियाँ :

उपन्यास : उसका बचपन, बिमल उर्फ़ जायें तो जायें कहां, तसरीन, दूसरा न कोई, दर्द ला दवा, गुज़रा हुआ ज़माना, काला कोलाज, नर नारी, माया लोक, एक नौकरानी की डायरी।

कहानी-संग्रह : बीच का दरवाज़ा, मेरा दुश्मन, दूसरे किनारे से, लापता, उसके बयान, मेरी प्रिय कहानियां, वह और मैं, ख़ामोशी, अलाप, प्रतिनिधि कहानियां, लीला, चर्तित कहानियां, पिता की परछाइयां, दस प्रतिनिधि कहानियां, बोधिसत्त्व की बीवी : (बोधिसत्त्व की बीवी, उदयन की बीवियों के अंदेशे, अरुणांचल, सारनाथ, ब्रांक्यूसी का हमाम, मोची भिखारिन मैं, डर मंदिर ईश्वर, पीलू और फ़रिश्ता, मशीन, लेखक और लंबा आदमी, लेखक की बद्दुआएं, कैसे गुज़र रही है ओल्ड ऐज, कुआं, ऊपर, साहित्य की नैतिकता, पिछले जन्म की बात है।), बदचलन बीवियों का द्वीप : (कलिंगसेना और सोमप्रभा की विचित्र मित्रता, सोमप्रभा की सुनाई हुई दो विचित्र कहानियों से छेड़छाड़, अर्थलोभ से मानपरा की मुक्ति, ‘लोहजंघ की कहानी, मथुरानिवासिनी गणिका रूपणिका की ज़ुबानी’, ‘देवदत्त की बीवी की कहानी, पिंगलिका ब्राह्मणी की ज़ुबानी’, उदयन की बीवियों के अन्देशे, बेधिसत्व की बीवी, एक और बोधिसत्व, मैं निश्चयदत्त और मेरी अनुरागपरा, ‘बदचलन’ बीवियों का द्वीप।), संपूर्ण कहानियां (दो जिल्दों में) : मेरा दुश्मन, रात की सैर।

नाटक : भूख आग है, हमारी बुढ़िया, कीजिए हाय हाय क्यों, सवाल और स्वप्न, परिवार अखाड़ा।

समीक्षा : टेकनीक इन दि टेल्ज़ ऑफ़ हेनरी जेम्ज़।

अनुवाद : अंग्रेज़ी में—स्टेप्स इन डार्कनेस (उसका बचपन), बिमल इन बाग (बिमल उर्फ़ जायें तो जायें कहां), डाइंग अलोन (दूसरा न कोई और दस कहानियां), द ब्रोकन मिरर (गुज़रा हुआ ज़माना), सायलेंस (चुनी हुई कहानियां।

हिंदी में—गॉडो के इंतजार में (बेकिट), आख़िरी खेल (बेकिट), फ़ेड्रा (रासीन), एलिस अजूबों की दुनिया में (लुइस केरल)।

अन्य : शिकस्त की आवाज़ (आत्मकथा), ख्वाब है दीवाने का (डायरी)।

अन्त का उजाला

कृष्ण बलदेव वैद

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अब्र क्या चीज है हवा क्या है

कृष्ण बलदेव वैद

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उसका बचपन

कृष्ण बलदेव वैद

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चारपाई की गहराई में दादी औंधे मुंह पड़ी हुई है, जैसे कोई बच्चा रोते रोते सो या मर गया हो। ड्योढ़ी इस मकान का मुँह है, जो कभी खुलता है तो कभी बंद हो जाता है।   आगे...

उसका बचपन

कृष्ण बलदेव वैद

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उसका बचपन एक महत्त्वपूर्ण और असाधारण उपन्यास है और अपने शिल्प और शैली के आधार पर हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में गिना जाता है।

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उसके बयान

कृष्ण बलदेव वैद

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एक नौकरानी की डायरी

कृष्ण बलदेव वैद

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एक नौकरानी की डायरी...

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एक नौकरानी की डायरी

कृष्ण बलदेव वैद

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कहते हैं जिसको प्यार

कृष्ण बलदेव वैद

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इस नाटक को पढ़ते ही पाठक को नाटक अपने सामने घटित होते दिखता है।

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ख्वाब है दीवाने का

कृष्ण बलदेव वैद

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कृष्ण बलदेव वैद की उत्कृष्ट प्रवास डायरी...   आगे...

गुजरा हुआ जमाना

कृष्ण बलदेव वैद

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गुजरा हुआ जमाना देशविभाजन को लेकर लिखे गए उपन्यासों में एक अलग और विशिष्ट स्थान पिछले दो दशकों से बनाए हुए है।

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